Friday, August 29, 2008

वंश परंपरा

वंश परंपरा

आल्हा- उदल के माता- पिता को लेकर गाथा में कोई विकल्प नहीं मिलता। दोनों दसराज (जसराज) और दिवला (देवल दे) के पुत्र हैं। कन्नौजी पाठ के अनुसार आल्हा का जन्म दशपुरवा (दशहर पुर, महोबा की सीमा पर एक छोटा- सा गाँव) में हुआ था। आल्हा की जन्म तिथि जेठी दशहरा बताई जाती है। आल्हा से ऊदल लगभग बारह वर्ष छोटा था। पिता की हत्या के बाद उसका जन्म हुआ था। इस संबंध में उसे पहली बार माहिल के कटु वचन से पता चलता है।

जनश्रुतियों, स्थान और बोलियों में घिरी बनाफरों की वंश- तालिका इस प्रकार मिलती हैं:-

कन्नौजी तथा पश्चिमी हिंदी पाठ के अनुसार बनाफरों की वंश- तालिका :-

वासदेव - महोबा का राजा

हमीरपुर बुंदेलखण्ड की बनाफरी- उपबोली के अनुसार

वासदेव - महोबा का राजा

ग्रियर्सन के अनुसार बनाफरो की पत्नियाँ मूलतः अच्छे परिवारों की थीं। बाद में उन्हें अहीर कहा गया। कदाचित् माहिल ने बैर भाव से यह अफवाह फैला दी हो। महोबा में, विवाह-संबंधों के संदर्भ में बनाफर "ओछी जात' कहे गए हैं।


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